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सफल बातचीत के 9 टिप्स

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सफल बातचीत करना भी एक कला होती है, जो हर व्यक्ति के जीवन में बहुत अधिक महत्वपूर्ण है। यह व्यक्तिगत संबंधों और रिश्तों को भी सुधारने में मदद करती है और बिज़नेस और सामाजिक संबंधों में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यहाँ दिए गए कुछ मंत्रों के माध्यम से हम जानेंगे कि सफल बातचीत कैसे की जाए और इसके कौन-कौन से महत्वपूर्ण पहलू हैं।

1. आमने-सामने की बातचीत ही सबसे उत्तम होती हैं

आमने-सामने की बातचीत का महत्व अन्य किसी भी प्रकार की बातचीत से अधिक होता है। उदाहरण के लिए- फ़ोन कॉल करने से, ईमेल करने से या वाट्सअप करने से ज़्यादा महत्व आमने- सामने की बातचीत होती है। जब आप किसी से आमने-सामने मिलते हैं, तो आप उनके शब्दों के साथ-साथ उनके शारीरिक भाव और आँखों के संपर्क होने के कारण उनकी भावनाओं और विचारों को अधिक स्पष्टता और सहानुभूति के साथ समझ सकते हैं। और अपनी भावनाओं को बेहतर तरीक़े से व्यक्त भी कर सकते है। जिसके कारण ग़लतफ़हमियों और कन्फ्यूजन को जल्दी से सुलझाया जा सकता है।

2. दूसरे की बात समाप्त होने से पहले हस्तक्षेप न करें

सुनने की कला बातचीत का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा होती है। जब आप किसी की बात पूरी होने से पहले ही बीच में टोकते हैं, तो यह दर्शाता है कि आप उनकी बात को अधिक महत्व नहीं दे रहे हैं। जब आप किसी को पूरी बात कहनें का मौक़ा देते है, तो आपको उनके विचारों और भावनाओं को समझने में मदद करता है। इसमें आपको धैर्य की आवश्यकता होती है।इससे यह भी पता चलता है कि आप उनके विचारों और भावनाओं का सम्मान करते हैं, इसलिए, यह महत्वपूर्ण है कि सामने वाले की बातों को आप धैर्यपूर्वक सुनें और दूसरे व्यक्ति की बात पूरी होने के बाद ही अपनी प्रतिक्रिया दें। यह न केवल आपके सम्मान को बढ़ाता है बल्कि दूसरे व्यक्ति को यह एहसास भी दिलाता है कि उनकी राय महत्वपूर्ण है।

3. स्वयं की बातों के लिए स्वयं ज़िम्मेदारी लें

जब आप अपनी बातों के लिए जिम्मेदारी लेते हैं, तो इससे दूसरे व्यक्ति को यह विश्वास होता है कि आप जो कह रहे हैं, उसे पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।यदि आप अपनी बातों के लिए ज़िम्मेदारी नहीं लेते हैं, तो आप अपनी विश्वसनीयता खो सकते हैं।जब आप अपनी गलती मानते हैं या अपने विचारों के लिए जिम्मेदारी लेते हैं, तो यह दर्शाता है कि आप ईमानदार और भरोसेमंद हैं।

उदाहरण के लिए, “मुझे ऐसा लगता है कि…” या “मेरे विचार से…” जैसे वाक्यांशों का उपयोग करें, जिससे यह स्पष्ट हो कि आप अपने विचारों और भावनाओं के लिए जिम्मेदार हैं।

4. बातचित में सुर का ध्यान रखना

आपकी आवाज का सुर, आपका टोन और आपके बोलने तरीका बहुत महत्वपूर्ण होता है। आपकी आवाज़ का टोन आपके शब्दों के प्रभाव को बढ़ा या घटा सकता है।उदाहरण के लिए, यदि आप एक गंभीर विषय पर बात कर रहे हैं, तो आपका टोन भी गंभीर होना चाहिए। इसके विपरीत, यदि आप किसी हल्के-फुल्के विषय पर बात कर रहे हैं, तो आपका टोन भी हल्का और उत्साही होना चाहिए।एक शांत, स्थिर और सकारात्मक टोन बातचीत को अधिक सौहार्दपूर्ण बना सकता है, जबकि एक तीव्र या कठोर टोन से विवाद उत्पन्न हो सकता है। सुर का ध्यान रखना महत्वपूर्ण है क्योंकि यह भी महत्वपूर्ण है कि आप अपनी आवाज़ की ऊँचाई और गति पर ध्यान दें, ताकि आपकी बातें स्पष्ट और प्रभावी हों।

5. अनावश्यक व बीते हुए कल के संदर्भों का ज़िक्र न करें

बातचीत में वर्तमान पर ध्यान केंद्रित करना महत्वपूर्ण है। जब आप बार-बार बीते हुए बातों को सामने लाते हैं, तो यह न केवल बातचीत को नकारात्मक बनाता है, बल्कि बीते हुए कल के मुद्दों को बार-बार उठाने से वर्तमान बातचीत में बाधा उत्पन्न हो सकती है और इससे रिश्तों संबंधों में दरार पैदा कर सकता है। इसलिए, यह महत्वपूर्ण है कि आप वर्तमान पर ध्यान केंद्रित करें और अतीत को पीछे छोड़ दें।

6. माँगने पर ही सलाह दें

अधिकांश लोग अनचाही सलाह कभी-कभी पसंद नहीं करते है, इसलिए, जब तक कोई विशेष रूप से आपसे सलाह नहीं मांगता, तब तक अपनी विचार या सलाह न दें।यदि कोई आपसे सलाह मांगता है,सलाह देने से पहले यह सुनिश्चित करें कि सामने वाला व्यक्ति वास्तव में आपकी राय चाहता है।

7. नकारात्मक तुलनाएं ना करें

तुलना करना सामान्य है, लेकिन नकारात्मक तुलना से बचना महत्वपूर्ण है। जब आप किसी को दूसरे से तुलना करते हैं, तो यह व्यक्ति के आत्म-सम्मान को ठेस पहुंचा सकता है। इसलिए, व्यक्तियों को उनके स्वयं के गुणों और क्षमताओं के आधार पर सराहें और उनकी तुलना दूसरों से करने से बचें।

8. जो अच्छा लगे उसकी तारीफ़ करें और जो न पसंद आये, उसे अनदेखा कर दें

जो आपको सामने वाले व्यक्ति में अच्छा लगें उसे तारीफ़ करें।जब आप किसी की अच्छी बातों की तारीफ करते हैं, तो इससे उनकी आत्म-सम्मान में वृद्धि होती है और वे आपकी बातें अधिक ध्यान से सुनते हैं। वहीं, नकारात्मक बातों को अनदेखा करने से विवाद और असहमति से बचा जा सकता है।इसलिए नकारात्मक बातों को अनदेखा करने की कोशिश करें।

9. अनावश्यक विषयों पर बहस ना करें। अगर आप जीतते भी हैं तो भी वह कुछ ख़ास फ़ायदा नहीं पहुँचायेगा

हर बहस का उद्देश्य जीतना नहीं होना चाहिए। कुछ मुद्दे ऐसे होते हैं जिन पर बहस करना बिलकुल भी जरुरी नहीं होता है। और यह सिर्फ समय और ऊर्जा की बर्बादी हो सकती है। इससे केवल तनाव और असहमति बढ़ती है। अनावश्यक बहस से न केवल संबंधों में खटास आती है बल्कि यह आपकी मानसिक शांति को भी प्रभावित कर सकता है। इसलिए, यह महत्वपूर्ण है कि आप उन विषयों पर बहस करें जो वास्तव में महत्वपूर्ण हैं और अनावश्यक मुद्दों पर बहस से बचें।

संवाद के इन मंत्रों का पालन करने के लाभ

बेहतर रिश्ते

जब आप इन मंत्रों का पालन करते हैं, तो यह दर्शाता है कि आप अपने संबंधों को महत्व देते हैं और उन्हें सुधारने के लिए प्रयासरत हैं। इससे आपके रिश्ते मजबूत होते हैं और आपसी विश्वास बढ़ता है।

प्रभावी संचार

यह मंत्र आपके संचार को अधिक प्रभावी और प्रभावशाली बनाते हैं। जब आप ध्यान से सुनते हैं, अपनी बातों की जिम्मेदारी लेते हैं और सकारात्मक रहते हैं, तो आपका संचार अधिक स्पष्ट और प्रभावी होता है।

संघर्ष समाधान

इन मंत्रों का पालन करने से आप संघर्षों को प्रभावी तरीके से सुलझा सकते हैं। यह आपको शांतिपूर्ण तरीके से असहमति को हल करने में मदद करता है और इससे आपसी समझ बढ़ती है।

आत्म-सम्मान में वृद्धि

जब आप दूसरों की तारीफ करते हैं और उनकी नकारात्मकता को नजरअंदाज करते हैं, तो इससे उनका आत्म-सम्मान बढ़ता है। यह उन्हें अधिक सकारात्मक और आत्म-विश्वासी बनाता है।

समय और ऊर्जा की बचत

अनावश्यक बहस और विवाद से बचने से आप अपना समय और ऊर्जा बचा सकते हैं। इससे आप महत्वपूर्ण मुद्दों पर ध्यान केंद्रित कर सकते हैं और अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने में अधिक सफल हो सकते हैं।

निष्कर्ष (Conclusion)

सफल बातचीत के इन मंत्रों का पालन करना न केवल आपकी व्यक्तिगत और पेशेवर जिंदगी में सुधार ला सकता है, बल्कि यह आपके संबंधों को भी मजबूत बना सकता है। यह मंत्र संचार की कला को समझने और उसे प्रभावी तरीके से उपयोग करने में मदद करते हैं। इन सरल लेकिन प्रभावशाली मंत्रों का पालन करके आप अपनी बातचीत को और अधिक सफल और संतोषजनक बना सकते हैं।

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